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IBS- Irritable Bowel Syndrome

IBS- Irritable Bowel Syndrome

 

इरीटेबल बॉल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome - IBS)

क्या आपको पेट में अक्सर दर्द रहता है? कभी दस्त होते हैं तो कभी कब्ज? अगर हाँ, तो हो सकता है कि आप आईबीएस  (Irritable Bowel Syndrome - IBS) से ग्रस्त हों. यह पाचन तंत्र से जुड़ी एक आम समस्या है, जिसका सामना बहुत से लोगों को करना पड़ता है.

आईबीएस  क्या है?

आईबीएस  (IBS) आंतों से जुड़ी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बार-बार पेट दर्द और मल त्याग करने की आदतों में बदलाव होता रहता है. इसमें आपको कभी दस्त (डायरिया) की शिकायत हो सकती है, तो कभी कब्ज हो सकती है. साथ ही पेट में गैस बनना, सूजन और बेचैनी भी महसूस हो सकती है.

लक्षण 

आईबीएस के लक्षण हर व्यक्ति में थोड़े बहुत अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ आम लक्षणों में शामिल हैं:

पेट में दर्द या ऐंठन मल त्याग करने की आदतों में बदलाव - कभी दस्त, कभी कब्ज, पेट में गैस बनना, पेट में जलन

पेट फूलना, पेट में भारीपन महसूस होना, पेट में मरोड़ उठना, मल त्याग करने के बाद भी पेट साफ ना होना जैसा महसूस होना

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प्रकार

आईबीएस  (IBS) मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है, हालाँकि कुछ मामलों में ये दोनों मिल भी सकते हैं। पहला है दस्त-प्रधान IBS, जिसमें व्यक्ति को ज्यादातर दस्त की परेशानी होती है। दूसरा है कब्ज-प्रधान IBS, जिसमें व्यक्ति को ज्यादातर कब्ज रहता है. कुछ लोगों को मिला-जुला IBS होता है, जिसमें कभी दस्त होता है तो कभी कब्ज. तथा एक और प्रकार मुख्यत दर्द प्रधान भी होता है।

कारण 

IBS के ठीक-ठीक कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन माना जाता है कि कई चीजें मिलकर IBS को जन्म दे सकती हैं, जैसे:

आंतों की अतिसंवेदनशीलता (Increased sensitivity in the intestines): कुछ लोगों में उनकी आंतें ज्यादा संवेदनशील होती हैं, जिससे हल्का-सा बदलाव भी उन्हें तकलीफ दे सकता है.

आंत्र संकुचन में गड़बड़ी (Muscle contractions in the intestines): IBS में आंतों के संकुचने का तरीका भी असामान्य हो सकता है. कभी आंतें बहुत तेज गति से सिकुड़ने लगती हैं, तो कभी बहुत धीमी गति से, जिससे दस्त या कब्ज की समस्या हो सकती है.

तनाव (Stress): तनाव IBS के लक्षणों को बदतर बना सकता है.

आहार (Diet): कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे मसालेदार खाना, वसायुक्त खाना, या डेयरी उत्पाद, IBS के लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं.

बैक्टीरिया का असंतुलन (Gut bacteria imbalance): आंतों में रहने वाले अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ने से भी IBS हो सकता है.

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निदान 

IBS का निदान आमतौर पर डॉक्टर द्वारा मरीज के लक्षणों के आधार पर किया जाता है. कुछ मामलों में, अन्य बीमारियों को रूल आउट करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं, जैसे ब्लड टेस्ट, स्टूल टेस्ट, या कोलोनोस्कोपी.

 आईबीएस  (IBS) पेट से जुड़ी एक आम समस्या है, जिसमें व्यक्ति को दस्त, कब्ज या पेट में दर्द जैसी परेशानियां अक्सर होती रहती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चिंता (anxiety) IBS के लक्षणों को बढ़ा सकती है, वहीं IBS भी चिंता पैदा कर सकता है? आइए, इन दोनों के बीच के संबंध को सरल शब्दों में समझते हैं.

आंत-मस्तिष्क कनेक्शन (Gut-Brain Connection)

हमारा दिमाग और आंत एक दूसरे से लगातार बातचीत करते हैं, जिसे "आंत-मस्तिष्क कनेक्शन" के नाम से जाना जाता है. इस कनेक्शन के जरिए दिमाग आंत को संदेश भेजता है और आंत भी दिमाग को संकेत देता है. उदाहरण के लिए, जब आप घबराते हैं, तो आपका दिमाग आपके पेट में तनाव पैदा करने वाले रसायन छोड़ सकता है, जिससे आपको पेट में दर्द या मरोड़ उठने का अनुभव हो सकता है.

चिंता आईबीएस के लक्षणों को कैसे बढ़ा सकती है?

संवेदनशील आंत: आईबीएस से ग्रस्त लोगों में अक्सर आंतें ज्यादा संवेदनशील हो जाती हैं. यानी हल्की उत्तेजना भी उन्हें दस्त, कब्ज या गैस का कारण बन सकती है. चिंता के दौरान शरीर में तनाव पैदा करने वाले हार्मोन निकलते हैं, जो आंतों को और संवेदनशील बना सकते हैं, जिससे आईबीएस के लक्षण बिगड़ सकते हैं.

चिंता और दर्द का चक्र (Cycle of Anxiety and Pain): आईबीएस के लक्षण, जैसे पेट दर्द या दस्त लगना, चिंता पैदा कर सकते हैं. यह चिंता आगे चलकर और ज्यादा लक्षण पैदा कर सकती है, जिससे एक तरह का चक्र बन जाता है. उदाहरण के लिए, किसी महत्वपूर्ण मीटिंग से पहले आपको चिंता हो सकती है कि कहीं आपको दस्त न लग जाए, और यही चिंता वास्तव में आपको दस्त लगा सकती है.

 

आईबीएस चिंता को कैसे जन्म दे सकता है?

बीमारी से जुड़ी चिंता: इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को इस बात की चिंता रहती है कि उन्हें कब पेट की समस्या हो जाएगी. यह चिंता उनके रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित कर सकती है और तनाव का कारण बन सकती है.

सामाजिक जीवन पर असर: आईबीएस वाले लोगों को अक्सर सामाजिक कार्यक्रमों में जाने से हिचकिचाहट होती है, इस डर से कि कहीं उन्हें दस्त या पेट दर्द न हो जाए. यह सामाजिक अलगाव उन्हें अकेलापन और अवसाद का अनुभव करा सकता है, जो आगे चलकर चिंता को बढ़ा सकता है.

उपचार

आईबीएस  के लक्षणों को कम करने के लिए कई तरह के उपचार किए जा सकते हैं, जिनमें

आहार में बदलाव (Dietary changes): सबसे महत्वपूर्ण उपचारों में से एक है. डॉक्टर ऐसे खाने की चीजों को पहचानने में आपकी मदद कर सकते हैं, जो आपके लक्षणों को ट्रिगर करते हैं और उन्हें अपने आहार से बाहर करने की सलाह दे सकते हैं. साथ ही वह आपको हाई-फाइबर युक्त आहार लेने की सलाह दे सकते हैं, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में मदद करता है. 

इस समस्या का उपचार करने के लिए कई प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं। सबसे पहले डॉक्टर से परामर्श करना जरुरी है ताकि उन्हें आपकी समस्या के अनुसार उपयुक्त दवाई का चयन करने में मदद मिल सके। आमतौर पर, इसके इलाज में डॉक्टर अनेक दवाओं का सुझाव देते हैं।  

एंटीडिप्रेसेंट= इनके बारे में हम आगे जानेंगे । 

एंटिबायोटिक्स: कभी-कभी आईबीएस के कारण बैक्टीरियल संक्रमण होता है, इसलिए डॉक्टर एंटीबायोटिक्स का भी सुझाव देते हैं।

एंटीडायरियल्स: इन दवाओं का उपयोग आमतौर पर जिन लोगों को डायरिया की समस्या होती है, उनके लिए किया जाता है।

पाचक तथा प्रो बायोटिक्स: इस तरह की दवाएं पेट में होने वाले गैस की समस्याओं को कम करने में मदद करती हैं।

 स्टीरॉयड : इन दवाओं का उपयोग अधिक उत्तेजनात्मक आईबीएस के लिए किया जाता है।

इन दवाओं का सेवन डॉक्टर के मार्गदर्शन में होना चाहिए, और कभी भी खुद से दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए। 

अगर आपको आईबीएस है और आपको लगता है कि चिंता आपके लक्षणों को बढ़ा रही है, तो डॉक्टर से बात करें. वह चिंता को कम करने के लिए दवा या थेरेपी की सलाह दे सकते हैं. साथ ही, आईबीएस के लक्षणों को कम करने के लिए भी दवाएं या आहार संबंधी सलाह दी जा सकती है. कुछ उपयोगी उपाय ये हो सकते हैं:

1. दवाएं, मनोचिकित्सक द्वारा प्रेस्क्राइब की गई तनाव तथा घबराहट रोधी दवाएं। ये फर्स्ट लाइन ऑफ ट्रीटमेंट है। 

02. साइकोथेरपी, थेरेपिस्ट की मदद से सीबीटी (कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी) और तनाव प्रबंधन (Stress Management) सीखना भी अच्छा कदम है। 

03.  योग, ध्यान या गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज तनाव को कम करने में मदद कर सकती है.

04.पर्याप्त नींद: अच्छी नींद लेने से तनाव कम होता है और पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है.

05. पोषण से भरपूर आहार: फाइबर युक्त आहार और प्रोबायोटिक्स युक्त खाद्य पदार्थ आईबीएस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं.

इलाज की टीम में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, मनोचिकित्सक तथा काउंसलर को मिलकर काम करने की जरूरत हो सकती है। 

डॉक्टर रश्मि मोघे हिरवे, 

कंसल्टेंट मनोचिकित्सक तथा काउंसलर,

सिनेप्स न्यूरोसाइंसेज क्लिनिक

बावडिया कलां, भोपाल

 





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