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Generalized Anxiety Disorder (GAD)

Generalized Anxiety Disorder (GAD)

Generalised Anxiety Disorder (GAD) (सामान्यीकृत चिंता विकार) 

रीना एक बेहद प्यारी सी लड़की थी, लेकिन उसके अंदर एक छिपा हुआ दुश्मन था - चिंता। रीना को हर बात की चिंता रहती थी। क्या नौकरी मिल पाएगी? क्या रिश्ते ठीक से चलेंगे? क्या स्वास्थ्य खराब हो जाएगा? ये चिंताएं छोटे-छोटे बीजों की तरह दिमाग में पनपतीं और धीरे-धीरे उसे घेर लेतीं।

सुबह उठते ही चिंता उसे जकड़ लेती। काम पर छोटी गलती भी उसे रातों तक जगाए रखती। किसी से बात करने से पहले सौ बार सोचती, कहीं कुछ गलत न कह दूं। हर खबर, हर बीमारी की खबर उसे डरा देती। किसी भी सूचना को सुनकर नकारात्मक विचार सबसे पहले उसके दिमाग में कौंधता, नींद उससे दूर हो गई थी, वो हमेशा थकी थकी रहती, हाथ पैर, गर्दन में दर्द, शरीर में तनाव बना रहता। वो खुश रहना चाहती थी, पर चिंता का साया उसे पीछे खींचता रहता। 

एक दिन उसकी हालत इतनी खराब हो गई कि वो काम पर भी नहीं जा सकीं। बेचैनी, घबराहट, सांस लेने में तकलीफ, दिल धड़ धड़ करना, हाथ पैरों में पसीने - सब कुछ एक साथ आ धमका। इसे पैनिक अटैक कहते हैं। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां मनोचिकित्सक ने उसे जीएडी है,(सामान्यीकृत चिंता विकार) ये पता लगाया। ये सुनकर रीना को राहत मिली, कम से कम अब वो समझ गई थीं कि उनके साथ क्या हो रहा है।

डॉक्टर ने उसे थेरेपी और दवाइयां दीं। थेरेपी में उन्हें चिंता को समझने और उससे निपटने के तरीके सिखाए गए। वो धीरे-धीरे उन छोटी-छोटी चिंताओं को पहचानने लगीं, जो बड़ी बनकर उन्हें परेशान करती थीं। सांस लेने के व्यायाम और ध्यान ने उन्हें शांत रहना सिखाया। दवाइयों ने उसके दिमाग के रसायनों को संतुलित कर चिंता को कम किया।

थोड़े समय में ही रीना में बदलाव आने लगा। नींद वापस लौटी, थकान कम हुई और चेहरे पर फिर से मुस्कान लौट आई। वो धीरे-धीरे अपने डरों का सामना करने लगी। काम पर ज्यादा फोकस कर पाने लगी, दोस्तों के साथ खुलकर हंसने लगी। वो समझ गई कि चिंता को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन उसे नियंत्रित किया जा सकता है।

रीना की कहानी जीएडी से जूझ रहे कई लोगों की कहानी है। याद रखें, आप अकेले नहीं हैं, ये एक बहुत कॉमन डिसऑर्डर है। सही इलाज से आप भी चिंता पर विजय पा सकते हैं और एक खुशहाल ज़िंदगी जी सकते हैं।

क्या ये है सामान्यीकृत चिंता विकार (जीएडी)?

क्या आपको हर छोटी-बड़ी बात की चिंता रहती है? भले ही वो काम, परिवार, पैसा या सेहत से जुड़ी हो? क्या ये चिंता इतनी हद तक बढ़ जाती है कि आप परेशान, थका हुआ, और परेशान महसूस करते हैं? अगर हां, तो हो सकता है आप सामान्यीकृत चिंता विकार (जीएडी) से जूझ रहे हों।

 

जीएडी एक तरह का एंजाइटी  डिसऑर्डर (चिंता विकार) है, जिसमें व्यक्ति को आम जिंदगी की बातों को लेकर बहुत ज्यादा और लंबे समय तक चिंता रहती है। ये चिंता इतनी गहरी होती है कि दैनिक जीवन पर गहरा असर डालती है। व्यक्ति का चैन से जीना मुहाल हो जाता है। 

जीएडी के लक्षण:

1=लगातार बेचैनी और घबराहट

2=हर समय कुछ बुरा होने का डर

3=फोकस करने, अटेंशन (ध्यान लगाने) में परेशानी

4=सोने में दिक्कत या ज्यादा सोना

5=थकान और शरीर में दर्द

6=बेचैनी और घबराहट के कारण सांस लेने में तकलीफ या दिल की धड़कनें बढ़ना

जीएडी के कारण:

जीएडी में कई चीजें भूमिका निभाती हैं, जैसे:

आनुवांशिकी - परिवार में किसी को चिंता विकार होने से जोखिम बढ़ सकता है।

दिमाग का रसायन - दिमाग में कुछ रसायनों का असंतुलन जीएडी का कारण हो सकता है।

जीवन के अनुभव - तनावपूर्ण घटनाएं, जैसे ट्रॉमा या दुर्घटना, जीएडी का ट्रिगर बन सकती हैं।

अगर आपको लगता है कि आपको जीएडी हो सकता है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। ये एक ऐसी समस्या है जिसे मनोचिकित्सक की मदद से ठीक किया जा सकता है।

उपचार के विकल्प:

काउंसलिंग एंड साइकोथेरेपी= इसमें विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके चिंता को कम करने और प्रबंधन करने में मदद मिलती है।

दवाइयां= दवाइयां मस्तिष्क के रसायनों का असंतुलन ठीक करके मरीज को तेजी से ठीक करती हैं।  

जीवनशैली में बदलाव= स्वस्थ खानपान, नियमित व्यायाम, अच्छी नींद और तनाव प्रबंधन तकनीकें अपनाने से भी चिंता को कम किया जा सकता है।

याद रखें:

आप अकेले नहीं हैं, जीएडी एक आम समस्या है।

समय पर मदद लेने से आप इससे उबर सकते हैं और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।

अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को जीएडी के बारे में कोई सवाल है, तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से जरूर बात करें।

-डॉक्टर रश्मि मोघे हिरवे

मनोचिकित्सक तथा काउंसलर

सिनेप्स न्यूरो साइंसेज, भोपाल

क्लिनिक नंबर 07553138825 





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Sep 04, 2024

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