जैसे जैसे इस महा घोटाले की परतें खुल रही हैं NEET 2024 स्कैम व्यापम से भी बड़ा प्रतीत होता है जिसने दर्जनों बच्चों की जान ली थी।
मासूम बच्चों के आंसू इतने सस्ते नहीं की भ्रष्ट अधिकारी आसानी से छूट जाएं। ये कितनी भी कमेटियां बना लें इन्हें कोर्ट में जवाब देने ही होंगे।
इन्होंने घोर अपराध किया है।उस अपराध को छिपाने का कृत्य भी किया है। ग्रेस मार्क्स की आड़ में महा घोटाले को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। जो छात्र बोर्ड परीक्षा में पास तक न हो पाए वो नीट के टॉपर बने बैठे हैं और मेधावी बच्चे अंधेरे कोनो में सिसक रहे हैं।
इस देश में प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिस्पर्धा का स्तर शायद विश्व में सबसे अधिक होगा क्योंकि सामाजिक सुरक्षा के अभाव में हर माता पिता अपने बच्चों को NEET/JEE के लिए प्रोत्साहित करता हैं। छठी सातवीं आते आते बच्चे कोचिंग क्लासेस में धकेल दिए जाते हैं।जिन बच्चों को अपने गांव या शहर के खेल के मैदानों में होना चाहिए वो कोटा के छोटे छोटे कमरों में रात दिन तपते हैं।हर साल दर्जनों बच्चे मानसिक तनाव के चलते आत्महत्या तक कर लेते हैं।
बच्चा चाहे IAS बनना चाहता हो फिर भी उसे पहले IIT में प्रवेश लेकर अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए कहा जाता है।
औसतन चार साल बच्चे NEET और JEE के लिए पढ़ाई करते हैं। बहुत से बच्चे तीन चार ड्रॉप तक लेते हैं। इन परीक्षाओं की तैयारी और इन्हें crack करना इस उम्र के बच्चों के लिए महाभारत के चक्रव्यूह से कम नहीं।बहुत से अभिमन्यु इस चक्र से निकल नहीं पाते।
उधर माता पिता लाखो रुपए लगाते हैं। अपना घर गिरवी भी रखना पड़े तो भी रखते हैं। कामकाजी माताएं तो अपना व्यवसाय तक छोड़ कर बच्चों के साथ कोटा जाती हैं।पूरे परिवार की ऊर्जा एवं संसाधन एक बच्चे के साथ लगती है तब जाकर बच्चा इस लायक होता है कि मेरिट में आ पाए।
पहली बार देख रहा हैं कोचिंग देने वाले टीचर्स कितने दुखी हैं। योग्य और अयोग्य की पहचान उनसे बेहतर कौन कर पाता होगा। वो तो रात दिन इन बच्चों के साथ रहते हैं।माता पिता के बाद इन बच्चों के असली शुभ चिंतक शायद ये टीचर्स ही हैं आज स्पष्ट दिखाई दे रहा है।आज ये टीचर्स भी इस अन्याय को सहन नहीं कर पा रहे। इनके अंदर का वर्षों का दर्द आज विस्फोट बन कर बाहर आ रहा है। इन्हें पता है कि हर साल कुछ अयोग्य बच्चे मेडिकल और इंजीनियरिंग में प्रवेश ले जाते हैं लेकिन इस बार तो सारी सीमाएं लांघी गई हैं।
अब नीट आंदोलन एक जन क्रांति बन चुका है।घर घर से लोग इस आंदोलन के लिए निकल रहे हैं।सड़ांध मार रही संस्थाओं में स्वच्छता का इस से सही समय फिर कभी नहीं आएगा।इन बच्चों के आंसू व्यर्थ नहीं जाने चाहिए।अपने गुस्से को ठंडा न होने दें। जब तक न्याय न मिले तब तक शांत न बैठें।
Recent comments
Latest Comments section by users